मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मंगलवार को मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय में उत्तराखण्ड तीर्थ पुरोहित महापंचायत के पदाधिकारियों ने भेंट कर मुख्यमंत्री को उनके 03 साल का कार्यकाल पूर्ण होने पर बधाई दी। उन्होंने चारधाम यात्रा को व्यवस्थित करने के लिए गठित किये जाने वाले प्राधिकरण या किसी अन्य संस्था के गठन के सबंध में लिये गये निर्णय तथा कैबिनेट द्वारा राज्य के चारधाम और अन्य प्रमुख मंदिरों के नाम ट्रस्ट या समिति गठित किये जाने के विरूद्ध कठोर विधिक प्राविधान किये जाने के निर्णय के लिए भी मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया। उन्होंने मुख्यमंत्री के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि इससे देशभर में चारधामों के जो करोड़ों श्रद्धालु हैं उनमें किसी तरह के भ्रम की स्थिति नहीं होगी। उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से यह राज्य सरकार का अच्छा निर्णय है और देवस्थानम बोर्ड का निर्णय वापस लिये जाने के बाद तीर्थ पुरोहितों के हित में लिया गया निर्णय है जिसका सभी तीर्थ पुरोहित, पुजारी, रावल और सभी लोग स्वागत करते हैं।

उत्तराखण्ड तीर्थ पुरोहित महापंचायत के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री से चार धाम के महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व और मेलों के लिए राज्य सरकार की ओर से आर्थिक सहायता उपलब्ध कराये जाने का अनुरोध किया ताकि स्थानीय स्तर पर इन आयोजनों को दिव्य और भव्य ढंग से आयोजित किया जा सके। उन्होंने चारधाम यात्रा को व्यवस्थित करने के लिए गठित की जाने वाली प्रस्तावित प्राधिकरण या किसी अन्य संस्था के गठन से पूर्व चार धाम के तीर्थ पुरोहित्तों, मंदिर समितियों, तीर्थ पुरोहित महा सभाओं के साथ ही हित धारकों को विश्वास में लिये जाने की भी बात मुख्यमंत्री के समक्ष रखी। चार धाम यात्रा से संबंधित वीडियो, अपुष्ट और भ्रामक प्रचार प्रसार करने वाले असामाजिक तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई किये जाने तथा यात्रा काल में पंजीकरण व्यवस्था के चलते कोई तीर्थ यात्री चार धाम आने से वंचित न रह जाये। इसके लिये जनहित में पंजीकरण व्यवस्था को पूरी तरह से समाप्त किये जाने का भी अनुरोध किया।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि कैबिनेट द्वारा राज्य के चार धाम व अन्य प्रमुख मंदिरों के नाम से ट्रस्ट या समिति गठित किये जाने के विरुद्ध कठोर विधिक प्राविधान किये जाने से जन सामान्य में असमंजस की स्थिति उत्पन्न नहीं होगी। साथ ही स्थानीय परम्पराओं एवं धार्मिक मान्यताओं को भी ठेस नहीं पहुंचेगी तथा स्थानीय स्तर पर आक्रोश की भी संभावना नहीं रहेगी। इसके दृष्टिगत राज्य सरकार द्वारा कड़े विधिक प्राविधान लागू किये जाने का निर्णय कैबिनेट द्वारा राज्य हित में लिया गया है। अब राज्य के अन्दर अथवा राज्य के बाहर कोई भी व्यक्ति अथवा संस्था किसी समिति अथवा ट्रस्ट का गठन कर राज्य के चार धामों एवं प्रमुख मंदिरों के नाम पर समिति अथवा ट्रस्ट का गठन नहीं कर पायेगा। इससे इस संबंध में उत्पन्न विवाद का भी समाधान होगा ।

मुख्यमंत्री ने कहा कि चार धाम यात्रा को बेहतर बनाने तथा आने वाले 30 वर्षों की यात्रा को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार चारधाम यात्रा को व्यवस्थित करने के लिए प्राधिकरण या किसी अन्य संस्था के गठन की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि इसमें तीर्थ पुरोहितों और हित धारकों की राय भी ली जाएगी। इसके अलावा मुख्यमंत्री ने तीर्थ पुरोहितों के अनुरोध पर  प्रत्येक धाम में आयोजित होने वाले दो धार्मिक आयोजनों एवं पर्वो के लिए राज्य सरकार की ओर से आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने की भी बात कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि चारधाम यात्रा के तहत श्रद्धालुओं के लिए ऑफलाइन और ऑनलाइन व्यवस्था को और बेहतर बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं। यात्रा के दूसरे चरण में ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही व्यवस्थाएं खुली रखी जाएगी। चार धाम आने वाले किसी भी यात्री को असुविधा न हो इसके हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।

इस अवसर पर महानिदेशक सूचना बंशीधर तिवारी, चारधाम महापंचायत के महासचिव डॉ बृजेश सती, किशोर भट्ट, यमुनोत्री तीर्थ पुरोहित महासभा अध्यक्ष पुरुषोत्तम उनियाल, चारधाम महापंचायत के मीडिया प्रभारी रजनीकांत सेमवाल,  उपाध्यक्ष अमित उनियाल, गंगोत्री धाम के आलोक सेमवाल, लखन उनियाल, सुरेश हटवाल, रमेश कोठियाल, चिंतामणि हटवाल, गौरव, हार्दिक ,शिवम, सुशील एवं डॉ मनीष सेमवाल आदि उपस्थित रहे।

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