विभागीय योजनाओं का लाभ उठाकर दूसरों के लिए प्रेरणा के स्रोत बने ग्राम गरियाली, विकासखण्ड नरेन्द्रनगर, जनपद टिहरी गढ़वाल के सुनील सजवाण।
श्री सजवाण कृषि विभाग की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लेते हुए अच्छा-खासा सब्जियों का उत्पादन कर अपनी आजीविका चला रहे है। अपनी आर्थिकी को मजबूत करने के साथ ही वे ग्रामीण महिलाओं को भी प्रशिक्षित कर उन्हें स्वरोजगार से जोड़ रहे हैं।‘‘
श्री सजवाण बताते है कि उन्होंने रोजगार हेतु मसूरी में एक होटल लीज में लिया, लेकिन उस कार्य में आत्मसंतुष्टि न मिलने तथा गांव में रहकर कुछ करने की चाह, उन्हें वापस अपने गांव ले आई। सरकार द्वारा संचालित कल्याणकारी योजनाओं और आधुनिक तकनीक के कारण खेती में कुछ अलग करने की चाह ने उन्हें खेती से जोड़ा। सर्वप्रथम उन्होंने एक नाली खेत में मटर की खेती की और लगभग 14 हजार रुपए तक का मटर बेचा, जिससे उनका मनोबल बढ़ गया। उन्होंने कृषि विभाग के सहयोग से राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (एकीकृत) के अन्तर्गत 03 लाख रूपये की लागत से 02 पॉलीहाउस, 01 लाख 90 हजार की लागत से एक जियोमेम्ब्रेन टैंक बनाया। इसके साथ ही राष्ट्रीय कृषि विकास योजना तथा अजीज प्रेमजी फाउण्डेशन के माध्यम से छत वर्षा टैंक तथा पराम्परागत कृषि विकास योजना के अंतर्गत वर्मा कम्पोस्ट पिट का निर्माण किया।
श्री सजवाण बताते है कि विभागीय योजनाओं का लाभ लेते हुए आज वे टमाटर, खीरा, मटर, बींस, पत्ता गोभी, लाल-पीली शिमला मिर्च, मशरूम, मोटी इलाइची आदि का उत्पादन कर रहे हैं। साल भर में वे पॉलीहाउस से 25 से 30 क्विंटल शिमला मिर्च, 80 से 90 क्विंटल टमाटर, 15 से 20 क्विंटल खीरा निकाल लेते हैं। इसके साथ-साथ अपने खेतो से बींस, पत्ता गोभी की खेती से 15 से 20 क्विंटल सब्जी प्राप्त करते है, जिससे उन्हें एक अच्छी इनकम प्राप्त होती है। आज उनके पास 500 वर्ग मीटर के तीन पॉलीहाउस है, जिसमें वे मलचिंग तकनीक को अपनाते हुए सीजन के हिसाब से खेती करते है।पिछले 4 सालों से मशरूम का उत्पादन भी कर रहे है। उनका एक छोटा सा मशरूम का प्लांट है, जिसमें 50 किलो बीज से एक से डेढ़ महिने में 5 क्विंटल मशरूम (ओयस्टर, किंग ओयस्टर सजोर काजू, मिल्की प्रजाति) प्राप्त करते है।
उन्होंने टमाटर का अरका रक्षक प्रजाति का बीज लगाया है, जिसका प्रोडक्शन बहुत अच्छा है। इसके साथ ही मोटी इलाइची की खेती भी शुरू की है, जिसकी नर्सरी लगाई है, जो कम समय में तैयार हो जाती है और दो साल में ही उत्पादन देने लगती है। इसको कोई जानवर नुकसान नहीं पहुंचाता है तथा इसका मूल्य 2000 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिकता है। उनके द्वारा 10-12 पौधों से 15 किलो मोटी इलाइची प्राप्त कर बेची गई।
श्री सजवाण ने गांव की कुछ महिलाओं का  समूह बनाया है, जो उनसे मशरूम का प्रशिक्षण लेकर अपने घरों में मशरूम उगा रही हैं। उनका मानना है कि बाहर नौकरी करने से ज्यादा अच्छा है कि गांव में रहकर ही स्वरोजगार अपनाएं और अन्य लोगों को भी रोजगार से देने के काबिल बने।
कृषि और उद्यानीकरण के क्षेत्र में आज विकास की अपार संभावनाएं है। मिलेट्स आधारित (कोदा, झंगोरा, मोटी दालें आदि) अनाज की आज विश्व भर में डिमांड है। राज्य सरकार कृषि, उद्यानीकरण को बढ़ावा देने के लिए नई नई तकनीक लाने के साथ ही कई योजनाएं चला रही है। किसान भाई सरलता से कृषि/उद्यानीकरण कर अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकें, इस हेतु सरकार उच्च कोटी के बीज, उपकरण, कीट नाशक दवा आदि सब्सिडी में दे रही है। इन कल्याणकारी योजनाओं के चलते युवाओं का भी कृषि/उद्यानीकरण की ओर रूझान बढ़ा है।

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